AAP Aur Paap

: : : "दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" चोर मचाते रहे शोर -ये सारी दुनियां है चोर ! भूल गए एक उँगली दूसरे की ओर करने से 3 अपनी ही ओर होती हैं!! कथित ईमानदार के सारे पाप सामने आएंगे, तो सब जानते थे; काठ की हांड़ी इतना भी नहीं टिक पायेगी, आश्चर्य !!! कहते हैं जो काँच के घरों में रहते हैं, वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते! यहाँ दूसरों के घर पत्थर फेंक दिखाते हैं, हमारा कांच अटूट है!! किन्तु जब पत्थर पड़ने लगे, तो रोने लगे!!! -तिलक सं 9911111611, 7531949051.: : "ब्लाग" पर आपका हार्दिक स्वागत है. इस ब्लॉग पर अपनी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाये भेज सकते हैं, रचनाएँ स्वरचित है इसका सत्यापन कर ई-मेल yugdarpanp@gmail.com पर भेजें, ये तो आपका ही साझा मंच है.धन्यवाद: :

Monday, August 11, 2014

आप कैसा भारत चाहते हैं ?

आप कैसा भारत चाहते हैं ? 
आप अपनी आने वाली पीढ़ी को कौनसा भारत देना चाहते हैं? जब दारुल हरब और दारुल इस्लाम के नामसे वैश्विक निर्णायक युद्ध छेड़ा जाये आप कहें मैं युद्ध के विरुद्ध हूँ, तो क्या आप बच पाएंगे? आप कहें सबके खून का रंग एक है तो क्या रंग एकता का क्विक फिक्स है? डीएनए तो भिन्न है। क्या + ग्रुप के रक्त में - ग्रुप का रक्त चढ़ाया जा सकता है ? जहाँ युद्ध नियम से नहीं, किसी मूल्य पर विजय केंद्रित हो तब निष्क्रियता प्राण रक्षा नहीं आत्महन्ता बन जाती है। निर्णायक युद्ध का परिणाम हिन्दू भारत या इस्लामिक दोनों में से एक चुनना होगा तीसरा कोई विकल्प नहीं। 
जो हिन्दू मुस्लिम तर्क नहीं समझते ताश का फ़्लैश जानते हैं। आप खेल में बैठे सेक्युलर ढंग से कहते हैं मैं हारने जीतने के पक्ष में नहीं हूँ। अपने चक्र का बूट शायर डालना पड़ेगा, किसी भी गणित से खेल के अंत में हारा मिलेगा। 
अब निर्णय आपका है। हिन्दू भारत या इस्लामिस्तान ? गीता की कर्मण्यता अपनाएंगे या वामपंथियों की कुत्सित भ्रमित कर्मण्यता। क्योंकि इनका पाखंड तो अब खंड खंड होगा यह निश्चित है। 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 
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"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ?

धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ? 
धारा 30 (A) क्या आप इसे उचित मानते हैं ? 
क्या आप इस शर्मनिरपेक्ष अनुचित कुचक्र का समर्थन करते हैं।  क्या यह धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत के इस्लामीकरण का गुप्त द्वार (चोरदरवाजा) नहीं है ? यह पूर्ववर्ती शर्मनिरपेक्ष सरकार का दिया तालिबानी कानून है। समानता के नामपर घोर भेदभाव कारक। 
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"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Saturday, August 9, 2014

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड
वन्देमातरम,
जिन्दा हूँ के साँस अभी बाकि है ये मुहावरा क्या आपको वीरोचित लगता है ?
आशावाद आवश्यक है किन्तु जब उसमे पुरुषार्थ जुड़ा हो और पुरुषार्थ मन से आशा सहित ही परिणाम कारक होता है -ईश्वर पर विश्वास और पुरुषार्थ का संगम आवश्यक है। गीता के सन्देश 'कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।' को स्मरण रखें -तिलक संपादक युगदर्पण।
विगत 700-800 वर्षों से, हमें भारत में बहुत कुछ विदेशी आक्रमणों के कारन झेलने को मिला है, किन्तु हम अभी भी बच गए है और गत 20 वर्षों में हमें पुनर्जीवित किया जा रहा है और इस प्रकार का विचार कई बार कहने सुनने में आता रहा है। दूसरी ओर तर्क यह भी है कि 2000 वर्ष पूर्व कोई ईसाई धर्म अथवा इस्लाम नहीं था जो आज 50 % हैं। केवल हिंदुत्व अथवा इसी के विस्तार में बौद्ध धर्म सम्पूर्ण एशिया में व्याप्त था या जैन भी हुए। भारत 80 % सिकुड़ कर मात्र 20 % रह गया है। और हम 2000 वर्ष पूर्व के गौरव के साथ वर्तमान के यथार्थ को भी समझें। विश्व के अनेक देशों हमारी संस्कृति के खंडहर हमारी गौरव गाथा आज भी गा रहे है (जब कि इस्लाम ने कई स्थानों पर उन्हें नष्ट भी किया है)।
हम 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता हैं. क्योंकि हम अजेय भी रहे हैं और विश्व विजेता हम अपने शौर्य प्रक्रम के कारण थे किन्तु पराजितों को बार बार क्षमा दान देने वाले एक बार जयचंद अथवा छलपूर्वक पराजित किये जाने पर मर्दन का शिकार हुए। इसने हमारे गौरव का भी मर्दन कर दुष्ट वामपंथियों व मैकाले वादियों को यह अवसर प्रदान किया कि हमें हीनता का शिकार बना, भ्रम की स्थिति बनाने का कुचक्र रच सकें। विगत में शासक इसी स्थिति का या तो समर्थन करते रहे या रोकने में असफल रहे। विश्व गुरु और विश्व विजेता भारत विश्व कल्याण से अपने कल्याण में भी असमर्थ दिखा। अत: कथित मानवता वादी पाखंड से भ्रमित पौरुष त्याग चुके, हमारे आज की महाभारत के अर्जुन अकर्मण्यता का त्याग करें।
कल्पना यह करें कि जिस सोने की चिड़िया के पंख एक सहस्त्र वर्ष से आज तक (संप्रग की लूट सहित) नोचे जा रहे हैं उसका पूर्व रूप कैसा रहा होगा। कल्पना यह करें कि नालंदा तक्षशिला के विशाल ज्यान भंडार मुगलों ने जिनका अग्नि दहन किया। फिर भी उनका समर्थन करने में अपनों से लड़ते कथित मानवता वादी। इनके दबाव या भ्रम में जीवन की महाभारत के हमारे अर्जुन पौरुष त्याग, किस प्रकार जाने अनजाने चाहे अनचाहे विश्व कल्याणकारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं। उत्तिष्ठत पार्थ उत्तिष्ठत जागृत
क्योंकि, हमारा गौरव पूर्ण इतिहास काल्पनिक नहीं है। अत: हम न तो पूर्व की कल्पनाओं में संकटों को अनदेखा करें, न इतिहास को नकार कर हीन भावना और भरें, आत्म मुग्ध या आत्म हन्ता बन संकट की अनदेखी, ये दोनों ही आत्म घाती है हानि कारक हैं। आंतरिक शक्तियों का संचय एवं संवर्धन कर, भारत फिर विश्व गुरु और विश्व विजेता बन हम विश्व कल्याण में अपनी भूमिका निर्धारित कर सकते हैं।आधुनिक ज्ञान विज्ञान से पुष्ट हमारा पौराणिक ज्ञान विज्ञान तथा नई ऊर्जा का संचय कर भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण हमारी स्वतंत्रता के अच्छे दिनों का सन्देश होगा।
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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Friday, August 8, 2014

मानवतावादी पाखंडीयों कहाँ हो ?

मानवतावादी पाखंडीयों कहाँ हो ? 
ISIS के आतंकी की दुल्हन बनी, 7 वर्ष की एक अबोध, बालिका देवी के लिये पल भर के लिये आंखों मे अंगारे भरना तो दूर आंखें नाम भी नहीं होती, वैभवशाली कोठी के वातानुकूलित कमरो मे मानवतावाद के पाखंडी शर्मनिरपेक्ष सेकुलरों की ..? भगवान न करे, ये भी ऐसे ही किसी दरिन्दे के साथ अपने घर की किसी देवी को स्वयं अपने हाथ से सजा सवार कर भेजने एवं इन्ही आंखो से अश्रु बहाने के लिये बाध्य हो ... अन्यथा कोई एक बहन बेटियोंवाला मुझे गारंटी दे कि बहुत शीघ्र ही ये दृश्य उसके घर मे नही दिखेगा ..
जब नकारात्मक बिकाऊ मैकालेवादी, मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें; शर्मनिरपेक्ष मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, - आओ मिलकर देश बचाएं ! पत्रकारिता व्यवसाय नहीं, एक पुनीत संकल्प है। इस देश को लुटने से बचाने हेतु तथा विश्व कल्याणार्थ, जड़ों से जुड़ें युगदर्पण के संग। विविधता, व्यापकता व राष्ट्रवाद के लेखन सहित: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में विविध विषय के 30 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc तथा कई समूह, समुदाय एवं पेज भी है।
युगदर्पण राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचारपत्र (2001) पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार सम्पूर्ण समाचार।  
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 7531949051, 9911111611
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में,
ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

मानवतावाद का चोला ?

मानवतावाद का चोला ? सही लगे तो शेयर कर
125 करोड़ तक पहुचाएं।
वन्देमातरम, (कृ ध्यान से पूरा पढ़ें तथा अंतरात्मा से सही निर्णय लें।)
यदि बात सबकी भावनाओं का सम्मान करने की है ?
सर्व पंथ समादर तो हिन्दू चरित्र में है। तभी स्वतंत्रता के बाद अन्यों का काल्पनिक भय दिखा कर भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने के प्रस्ताव को सहज स्वीकार लिया गया। फिर धर्म निरपेक्षता की विकृत परिभाषा से हिंदुत्व को कुचलने व राष्ट्रद्रोहियों का समर्थन करने का नया मुखौटा बना मानवतावाद। जबकि एक सच्चा मानवतावाद हिंदुत्व में युगों युगों से निहित है। आचरण में है। मानवतावाद का आडम्बर; जिनका समर्थन करता है; उनका चरित्र उतना ही दोगला है; जितना मानवतावाद के पाखंडियों का। जिहादियों के छींकने से इन्हे बुखार हो जाये, क्या वे राष्ट्रद्रोहियों से किसी प्रकार काम है?
  किन्तु आधी सदी और 3 पीढ़ियों को मानवतावाद के नाम से हिन्दू विरोधी होने पर गर्व करना सिखाया गया। इसी के चलते कथित 'एलीट' शान से मानवतावाद का चोला ओढ़े हिन्दू को सांप्रदायिक कहने में तथा जिहादियों के समर्थन में जाने -अनजाने राष्ट्रद्रोहियों के पापों का सहभागी बनता है।
क्या अब भी आप स्वयं को मानवतावादि तथा हिन्दू साम्प्रदायिकता (जो हमारी संस्कृति को नष्ट करने अपसंस्कृति फ़ैलाने का कुचक्र है) जैसे भ्रम जनित सम्बोधन त्यागना नहीं चाहेंगे ?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक  व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों मेंएक वैश्विक पहचान है।
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!     যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुग दर्पण:,  yugdarpan
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
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Friday, June 6, 2014

नकारात्मक पत्रकारिता एक्सप्रेस

Pseudo-secular Journalism of Indian Express 
Same Pune.
2 techies murdered in 4 days.
Hindu = "Infosys techie".
Muslim = "Muslim techie" !!!
Had it be a reverse case, Hindu techie murderd 
and in II case "Infosys techie" found dead.
There would have been a lot of hues & cries blaming Communalism.
इंडियन एक्सप्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्ष/शर्मनिरपेक्ष पत्रकारिता 
4 दिनों में 2 तकनीकी विशेषज्ञहत्या कर दी गई। 
वही पुणे, वही इन्फोसिस, दोनों शिकार वही तकनीकी विशेषज्ञ
वही इंडियन एक्सप्रेस, किन्तु शीर्षक बदल गए ?
हिन्दू = "इन्फोसिस तकनीकी विशेषज्ञ". 

मुस्लिम = "मुस्लिम तकनीकी विशेषज्ञ"!

नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का
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Wednesday, June 4, 2014

स्वास्थ्य मंत्री का जीवन सुरक्षा अभियान

सुरक्षा पेटी 'सीट बैल्‍ट' का उपयोग श्री गोपीनाथ मुंडे के प्राण बचा सकता था
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार कर में सुरक्षा पेटी का उपयोग श्री गोपीनाथ मुंडे के प्राण बचा सकता था। डॉ. हर्षवर्धन ने दिवंगत ग्रामीण विकास मंत्री की अंत्‍येष्टि में सम्मिलित होने के लिए बीड, महाराष्‍ट्र प्रस्थान करने से पूर्व कहा ‘अधिकांश लोग मानते हैं कि कार में पिछली सीट पर लगाई गयी पेटी, केवल सजावट के उद्देश्‍य से लगाई जाती है। मैंने मात्र इस एक भ्रांन्ति के चलते अपना मित्र खो दिया है। वास्‍तव में अगली सीटों की पेटी की भांति पिछली सीट पर पेटी लगाना भी अनिवार्य होता है। किसी अप्रिय स्थिति में यह जीवन बचाने का कारण हो सकती है।’
      मंगलवार को श्री गोपीनाथ मुंडे का निधन एक दुर्घटना के कारण हो गया था। लाल बत्‍ती को पार कर एक कार ने श्री मुंडे की कार को टक्‍कर मार दी थी। इस दुर्घटना से उनकी कार को तो अधिक क्षति नहीं पहुंची, किन्तु कार को लगे तेज धक्‍के के कारण श्री मुंडे की गर्दन के जोड़ और उनकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोट पहुंची, जिसके कारण मस्तिष्‍क को रक्त की आपूर्ति बाधित हुई और तत्‍काल उनकी हृदय गति और सांस रुक गयी। इसके अतिरिक्त उनका यकृत (जिगर) भी फट गया था और इसमें से रक्त बह रहा था। देश ने एक महत्‍वपूर्ण जननेता और समर्थ मंत्री खो दिया है। 

अगस्‍त, 1997 में ऐसी ही एक दुर्घटना में ब्रिटेन की प्रिंसेस डायना के प्राण चले गए। उनकी द्रुतगति कार पेरिस में एक भूमिगत सुरंग में खम्‍भे से टकरा गई थी। 2007 में ऐसी ही एक दुर्घटना में, दिल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की कार की ट्रक से हुई टक्‍कर के कारण निधन हो गया था। आज मैं उन अनेक लोगों के दु:ख को अनुभव कर पा रहा हूं जो सुरक्षा पेटी की आवश्‍यकता को अस्वीकरण से कार दुर्घटना में अपने प्रिय जनों को खो देते हैं। 
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का अभियान
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय गाड़ी चलाते समय सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने वाले लोगों को, जागृत करने की पहल करेगा।
      स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि सुरक्षा के बारे में स्‍वयं सेवी संगठनों के सहयोग से मल्‍टी मीडिया अभियान चलाने पर विचार किया जा रहा है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा ‘’ मुख्‍य ध्‍यान प्रत्‍यक्ष रूप से दुर्घटना के शिकार अथवा उन बच्‍चों पर दिया जायेगा, जिन्‍हें अभिभावक पिछली सीट पर बैठाते है अथवा जिनकी पर्याप्‍त देखभाल नहीं की जाती। बच्‍चे गलत लोगों का अनुकरण भी कर सकते हैं।
      स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि गलत ढ़ग से अथवा अंधाधुंध गाड़ी चलाने वाले लोगों का अनुकरण करने की बजाय बच्‍चों को सही ढ़ग से जीवन जीना सिखाना चाहिए। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि यह चिंता की बात है कि विश्व के अन्‍य देशों की तुलना में भारत में युवा वर्ग आजकल सुरक्षा पेटी और सुरक्षा टोपी (मोटरबाइक चलाते समय) लगाने में रूचि नहीं लेते। अनुसंधान से पता चला है कि विशेषकर महिला चालकों और मोटरसाइकिल चालकों, विशेषकर से पिछली सीट पर बैठी महिलाओं में यह रूझान बहुत अधिक देखा गया है। 
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘’ मैं कार और बाइक चालकों को सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए देशभर में पैट्रोल डीलर एसोसियशन का सहयोग चाहता हूं। डॉ. हर्षवर्धन ने जनता से अपील करते हुए कहा, ‘’ आइये गोपीनाथ मुंडे की त्रासदी को क्रांतिकारी परिवर्तन के रूप में लें।‘’
      उन्‍होंने कहा, ‘’मंत्री जी की त्रासदी और असमय मृ‍त्‍यु को सभी वाहन चालकों को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। एक जीवन बचाना, एक जीवन बनाने के समान है और समाज में संभावित परिवर्तन लाने वाला ही भविष्‍य को सुरक्षित कर सकता है।‘’
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