AAP Aur Paap

: : : "दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" चोर मचाते रहे शोर -ये सारी दुनियां है चोर ! भूल गए एक उँगली दूसरे की ओर करने से 3 अपनी ही ओर होती हैं!! कथित ईमानदार के सारे पाप सामने आएंगे, तो सब जानते थे; काठ की हांड़ी इतना भी नहीं टिक पायेगी, आश्चर्य !!! कहते हैं जो काँच के घरों में रहते हैं, वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते! यहाँ दूसरों के घर पत्थर फेंक दिखाते हैं, हमारा कांच अटूट है!! किन्तु जब पत्थर पड़ने लगे, तो रोने लगे!!! -तिलक सं 9911111611, 7531949051.: : "ब्लाग" पर आपका हार्दिक स्वागत है. इस ब्लॉग पर अपनी प्रकाशित और अप्रकाशित रचनाये भेज सकते हैं, रचनाएँ स्वरचित है इसका सत्यापन कर ई-मेल yugdarpanp@gmail.com पर भेजें, ये तो आपका ही साझा मंच है.धन्यवाद: :

Tuesday, November 11, 2014

दिल्ली किसकी हो इसबार ?

केज़रीवाल : मु मं पद के इच्छुक व
Embedded image permalinkMarry Divorce Remarry MDR-SuperFast
सदा मुस्लिम मुस्लिम रटने वाले को, उन्ही की भाषा समझ आएगी ?-
एक मुस्लिम व्यक्ति मजाक "मैं तुम्हें तलाक... ", तीन बार स्काइप पर अपनी पत्नी से कहा (तलाक ... तलाक ... तलाक ...)
धार्मिक विद्वानों (प्रतिष्ठित दारुल उलूम देवबंद मदरसा) के अनुसार तलाक रुकेगा नहीं; भले ही केवल एक मजाक था और युगल पूर्ववत विवाहित रहना चाहता है।
वे पुनर्विवाह कर सकते हैं, किन्तु नियमानुसार, उस पत्नी का, एक अन्य व्यक्ति से विवाह, फिर तलाक तो होना ही चाहिए।
दिल्ली किसकी हो इसबार ? जरा बताओ तो एकबार ??
आप AAP       भाजपा BJP      अन्य      
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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Saturday, November 8, 2014

आधा अधूरा पंगू,

आधा अधूरा पंगू,
अब तो झाड़ू लगाने की नौकरी भी नहीं मिलेगी।
सहमत   A ,         असहमत    B

शेयर का खर्च तो नहीं आता, 
सन्देश जन जन तक जाता।
"दिल्ली -आआप की या पाप की"
भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
"हम देंगे तीखा सत्य,
किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Tuesday, September 2, 2014

सुधरेंगे नहीं, हम?

सुधरेंगे नहीं, ?औकात भूल गए क्या? मार्च में इन्ही हरकतों ने डुबोया था, तुम्हें और तुम्हारे आकाओं को मई में 


#आजतक चैनल के #थर्ड डिग्री #कार्यक्रम में मार्च में बाबा राम देव ने कहा
 कभी राहुल गांधी को भी बुलाकर इस कार्यक्रम में घेरिये। तो इस पर पुण्य प्रसून का उत्तर """
आप भी कभी मोदी जी से, इस कार्यक्रम में आने के लिए कहिये।""राहुल गांधी के नाम पर मिर्ची लग जाती है इनको। इन हरामखोरो को याद नहीं रहा लगता हैमोदी इनके चेनल पर सीधी बात मे चुके है और ये क्या चाहते है?मोदी इस दलाल चेनल पर बार 2 आये, तो इसके इनकी घटती टीआरपी फिर बढ़े ये अपने सगे वाले कोंग्रेसियो के दलाल चेनल, अपने आकाओं को बुलाकर टेड़ा प्रश्न पूछ, आकाओं को नंगा करने का साहस नहीं होता। तभी तो बुला कर हल्का प्रश्न पूछतेहै। आज तक न्यूज़ चैनल सबसे बड़ा कोंग्रेसी, औरआप पार्टी का दलाल। इनका काम हिन्दू धर्म हिन्दू संगठनो पर ऊँगली उठाना और साथ में दिन रात मोदी, भाजपा के बारे में झूठे समाचार दिखा कर लोगो को भ्रमित करना। 
नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक विकल्प युगदर्पण| -YDMS मार्च 2014 
और अब भी -जिस परिवार की सरकार ने 6 दशक 21900 दिन सत्ता में रह कर, केवल देश को लूटा, वादे पूरे हैं किये, मात्र 100 दिन में बिलखने लगे ? साथ में उनके टुकड़खोर, जिन्हे पहले मलाई की खुरचन मिल जाती थी, हाय अब क्या करेंगे ? रोना बिलखना इस बात का है। 
उत्तिष्ठत अर्जुन, उत्तिष्ठत जाग्रत !! 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 
तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(सोशल मीडिया में विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। 
आपकी सहमति के, शेयर के सभी आँकलन तोड़ -ये पहुंचें 125 करोड़
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Thursday, August 14, 2014

संकल्प, उनका तोड़ने का था इनका नहीं तोड़ने का!

संकल्प, उनका तोड़ने का था इनका नहीं तोड़ने का!
राम सेतु को नहीं तोड़ने का संकल्प: केंद्र 
वन्देमातरम! माँ भारती के सभी पुत्रों को सर्वत्र स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें! सोच उज्जवल है भविष्य भी उज्जवल होगा। 
लोकसभा में प्रश्नकाल के मध्य, उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन सेतु समुद्रम के मुद्दे पर सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नई केंद्र सरकार का संकल्प दोहराया''हम किसी भी स्थिति में राम सेतु को तोड़ेंगे नहीं। राम सेतु को बचाकर देशहित में परियोजना हो सकती है, तो हम करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ''यह मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे पर हम ऐसा सुझाव देंगे, जो सभी संबंधित पक्षों को मान्य होगा।’’ गडकरी ने कहा कि वह इसी माह इस मामले को देखने के लिए, तमिलनाडु का प्रवास करेंगे।
इस क्षेत्र को बड़े पोतों के परिवहन योग्य बनाने व तटवर्ती क्षेत्रों में मत्स्य और नौवहन बंदरगाह स्थापित करने के नाम पर केंद्र सरकार की परियोजना प्रस्तावित सेतुसमुद्रम, शिपिंग कैनाल प्रोजेक्ट, गत संप्रग काल की है। युगदर्पण की मान्यता है कि संप्र गठबंधन के ठगबंधन ने हिन्दू विरोधी मानसिकता के कारण धर्मनिरपेक्षता को शर्मनिरपेक्षता में बदलने के जो अनेकों प्रयास किये हैं, उन्ही के साथ एक रामसेतु को छलपूर्वक मिटाने का भी था। उच्चतम न्यायालय में रामसेतु सम्बन्धी शपथपत्र उसी मानसिकता का प्रमाण है। नई सरकार का रामसेतु को बचाने का संकल्प इनकी राष्ट्रभक्ति का। 
स्पष्टतया संप्रग एक ऐसी महिला का खिलौना था, जो बहु बन देश को लूटने -मिटाने आई थी प्रगतिशील नहीं, प्रगति को ग्रहण था; जबकि राजग -राष्ट्र जागरण का संकल्प है। 
इसी प्रकार नकारात्मक मीडिया भ्रम का भोम्पू है तो युग दर्पण भी राष्ट्र जागरण का संकल्प है। 
नकारात्मक मीडिया का सकारात्मक विकल्प युग दर्पण मीडिया समूह YDMS 
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यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Monday, August 11, 2014

आप कैसा भारत चाहते हैं ?

आप कैसा भारत चाहते हैं ? 
आप अपनी आने वाली पीढ़ी को कौनसा भारत देना चाहते हैं? जब दारुल हरब और दारुल इस्लाम के नामसे वैश्विक निर्णायक युद्ध छेड़ा जाये आप कहें मैं युद्ध के विरुद्ध हूँ, तो क्या आप बच पाएंगे? आप कहें सबके खून का रंग एक है तो क्या रंग एकता का क्विक फिक्स है? डीएनए तो भिन्न है। क्या + ग्रुप के रक्त में - ग्रुप का रक्त चढ़ाया जा सकता है ? जहाँ युद्ध नियम से नहीं, किसी मूल्य पर विजय केंद्रित हो तब निष्क्रियता प्राण रक्षा नहीं आत्महन्ता बन जाती है। निर्णायक युद्ध का परिणाम हिन्दू भारत या इस्लामिक दोनों में से एक चुनना होगा तीसरा कोई विकल्प नहीं। 
जो हिन्दू मुस्लिम तर्क नहीं समझते ताश का फ़्लैश जानते हैं। आप खेल में बैठे सेक्युलर ढंग से कहते हैं मैं हारने जीतने के पक्ष में नहीं हूँ। अपने चक्र का बूट शायर डालना पड़ेगा, किसी भी गणित से खेल के अंत में हारा मिलेगा। 
अब निर्णय आपका है। हिन्दू भारत या इस्लामिस्तान ? गीता की कर्मण्यता अपनाएंगे या वामपंथियों की कुत्सित भ्रमित कर्मण्यता। क्योंकि इनका पाखंड तो अब खंड खंड होगा यह निश्चित है। 
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, 
तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(सोशल मीडिया में विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। 9911111611, 7531949051 
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!! যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண യുഗദര്പണ యుగదర్పణ ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپ, युग दर्पण:, yugdarpan
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। 
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ?

धर्मनिरपेक्ष संविधान या तालिबान ? 
धारा 30 (A) क्या आप इसे उचित मानते हैं ? 
क्या आप इस शर्मनिरपेक्ष अनुचित कुचक्र का समर्थन करते हैं।  क्या यह धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भारत के इस्लामीकरण का गुप्त द्वार (चोरदरवाजा) नहीं है ? यह पूर्ववर्ती शर्मनिरपेक्ष सरकार का दिया तालिबानी कानून है। समानता के नामपर घोर भेदभाव कारक। 
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Saturday, August 9, 2014

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड

आतंकवाद रक्षक -मानवतावादी पाखंड
वन्देमातरम,
जिन्दा हूँ के साँस अभी बाकि है ये मुहावरा क्या आपको वीरोचित लगता है ?
आशावाद आवश्यक है किन्तु जब उसमे पुरुषार्थ जुड़ा हो और पुरुषार्थ मन से आशा सहित ही परिणाम कारक होता है -ईश्वर पर विश्वास और पुरुषार्थ का संगम आवश्यक है। गीता के सन्देश 'कर्मण्ये वाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।' को स्मरण रखें -तिलक संपादक युगदर्पण।
विगत 700-800 वर्षों से, हमें भारत में बहुत कुछ विदेशी आक्रमणों के कारन झेलने को मिला है, किन्तु हम अभी भी बच गए है और गत 20 वर्षों में हमें पुनर्जीवित किया जा रहा है और इस प्रकार का विचार कई बार कहने सुनने में आता रहा है। दूसरी ओर तर्क यह भी है कि 2000 वर्ष पूर्व कोई ईसाई धर्म अथवा इस्लाम नहीं था जो आज 50 % हैं। केवल हिंदुत्व अथवा इसी के विस्तार में बौद्ध धर्म सम्पूर्ण एशिया में व्याप्त था या जैन भी हुए। भारत 80 % सिकुड़ कर मात्र 20 % रह गया है। और हम 2000 वर्ष पूर्व के गौरव के साथ वर्तमान के यथार्थ को भी समझें। विश्व के अनेक देशों हमारी संस्कृति के खंडहर हमारी गौरव गाथा आज भी गा रहे है (जब कि इस्लाम ने कई स्थानों पर उन्हें नष्ट भी किया है)।
हम 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता हैं. क्योंकि हम अजेय भी रहे हैं और विश्व विजेता हम अपने शौर्य प्रक्रम के कारण थे किन्तु पराजितों को बार बार क्षमा दान देने वाले एक बार जयचंद अथवा छलपूर्वक पराजित किये जाने पर मर्दन का शिकार हुए। इसने हमारे गौरव का भी मर्दन कर दुष्ट वामपंथियों व मैकाले वादियों को यह अवसर प्रदान किया कि हमें हीनता का शिकार बना, भ्रम की स्थिति बनाने का कुचक्र रच सकें। विगत में शासक इसी स्थिति का या तो समर्थन करते रहे या रोकने में असफल रहे। विश्व गुरु और विश्व विजेता भारत विश्व कल्याण से अपने कल्याण में भी असमर्थ दिखा। अत: कथित मानवता वादी पाखंड से भ्रमित पौरुष त्याग चुके, हमारे आज की महाभारत के अर्जुन अकर्मण्यता का त्याग करें।
कल्पना यह करें कि जिस सोने की चिड़िया के पंख एक सहस्त्र वर्ष से आज तक (संप्रग की लूट सहित) नोचे जा रहे हैं उसका पूर्व रूप कैसा रहा होगा। कल्पना यह करें कि नालंदा तक्षशिला के विशाल ज्यान भंडार मुगलों ने जिनका अग्नि दहन किया। फिर भी उनका समर्थन करने में अपनों से लड़ते कथित मानवता वादी। इनके दबाव या भ्रम में जीवन की महाभारत के हमारे अर्जुन पौरुष त्याग, किस प्रकार जाने अनजाने चाहे अनचाहे विश्व कल्याणकारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं। उत्तिष्ठत पार्थ उत्तिष्ठत जागृत
क्योंकि, हमारा गौरव पूर्ण इतिहास काल्पनिक नहीं है। अत: हम न तो पूर्व की कल्पनाओं में संकटों को अनदेखा करें, न इतिहास को नकार कर हीन भावना और भरें, आत्म मुग्ध या आत्म हन्ता बन संकट की अनदेखी, ये दोनों ही आत्म घाती है हानि कारक हैं। आंतरिक शक्तियों का संचय एवं संवर्धन कर, भारत फिर विश्व गुरु और विश्व विजेता बन हम विश्व कल्याण में अपनी भूमिका निर्धारित कर सकते हैं।आधुनिक ज्ञान विज्ञान से पुष्ट हमारा पौराणिक ज्ञान विज्ञान तथा नई ऊर्जा का संचय कर भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण हमारी स्वतंत्रता के अच्छे दिनों का सन्देश होगा।
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विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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Friday, August 8, 2014

मानवतावादी पाखंडीयों कहाँ हो ?

मानवतावादी पाखंडीयों कहाँ हो ? 
ISIS के आतंकी की दुल्हन बनी, 7 वर्ष की एक अबोध, बालिका देवी के लिये पल भर के लिये आंखों मे अंगारे भरना तो दूर आंखें नाम भी नहीं होती, वैभवशाली कोठी के वातानुकूलित कमरो मे मानवतावाद के पाखंडी शर्मनिरपेक्ष सेकुलरों की ..? भगवान न करे, ये भी ऐसे ही किसी दरिन्दे के साथ अपने घर की किसी देवी को स्वयं अपने हाथ से सजा सवार कर भेजने एवं इन्ही आंखो से अश्रु बहाने के लिये बाध्य हो ... अन्यथा कोई एक बहन बेटियोंवाला मुझे गारंटी दे कि बहुत शीघ्र ही ये दृश्य उसके घर मे नही दिखेगा ..
जब नकारात्मक बिकाऊ मैकालेवादी, मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें; शर्मनिरपेक्ष मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, - आओ मिलकर देश बचाएं ! पत्रकारिता व्यवसाय नहीं, एक पुनीत संकल्प है। इस देश को लुटने से बचाने हेतु तथा विश्व कल्याणार्थ, जड़ों से जुड़ें युगदर्पण के संग। विविधता, व्यापकता व राष्ट्रवाद के लेखन सहित: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में विविध विषय के 30 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc तथा कई समूह, समुदाय एवं पेज भी है।
युगदर्पण राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचारपत्र (2001) पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार सम्पूर्ण समाचार।  
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS - तिलक संपादक 7531949051, 9911111611
जीवन ठिठोली नहीं, जीने का नाम है |
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में,
ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

मानवतावाद का चोला ?

मानवतावाद का चोला ? सही लगे तो शेयर कर
125 करोड़ तक पहुचाएं।
वन्देमातरम, (कृ ध्यान से पूरा पढ़ें तथा अंतरात्मा से सही निर्णय लें।)
यदि बात सबकी भावनाओं का सम्मान करने की है ?
सर्व पंथ समादर तो हिन्दू चरित्र में है। तभी स्वतंत्रता के बाद अन्यों का काल्पनिक भय दिखा कर भारत को धर्म निरपेक्ष बनाने के प्रस्ताव को सहज स्वीकार लिया गया। फिर धर्म निरपेक्षता की विकृत परिभाषा से हिंदुत्व को कुचलने व राष्ट्रद्रोहियों का समर्थन करने का नया मुखौटा बना मानवतावाद। जबकि एक सच्चा मानवतावाद हिंदुत्व में युगों युगों से निहित है। आचरण में है। मानवतावाद का आडम्बर; जिनका समर्थन करता है; उनका चरित्र उतना ही दोगला है; जितना मानवतावाद के पाखंडियों का। जिहादियों के छींकने से इन्हे बुखार हो जाये, क्या वे राष्ट्रद्रोहियों से किसी प्रकार काम है?
  किन्तु आधी सदी और 3 पीढ़ियों को मानवतावाद के नाम से हिन्दू विरोधी होने पर गर्व करना सिखाया गया। इसी के चलते कथित 'एलीट' शान से मानवतावाद का चोला ओढ़े हिन्दू को सांप्रदायिक कहने में तथा जिहादियों के समर्थन में जाने -अनजाने राष्ट्रद्रोहियों के पापों का सहभागी बनता है।
क्या अब भी आप स्वयं को मानवतावादि तथा हिन्दू साम्प्रदायिकता (जो हमारी संस्कृति को नष्ट करने अपसंस्कृति फ़ैलाने का कुचक्र है) जैसे भ्रम जनित सम्बोधन त्यागना नहीं चाहेंगे ?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे,  तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक  व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS
हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र2001 से पंजी सं RNI DelHin11786/2001(विविध विषयों के 30 ब्लाग, 5 चेनल  अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों मेंएक वैश्विक पहचान है।
जागो और जगाओ!  जड़ों से जुड़ें, 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS से जुड़ें!!  इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,  बन कर। 
विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!!     যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ  ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண  യുഗദര്പണ  యుగదర్పణ  ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپयुग दर्पण:,  yugdarpan
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
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Friday, June 6, 2014

नकारात्मक पत्रकारिता एक्सप्रेस

Pseudo-secular Journalism of Indian Express 
Same Pune.
2 techies murdered in 4 days.
Hindu = "Infosys techie".
Muslim = "Muslim techie" !!!
Had it be a reverse case, Hindu techie murderd 
and in II case "Infosys techie" found dead.
There would have been a lot of hues & cries blaming Communalism.
इंडियन एक्सप्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्ष/शर्मनिरपेक्ष पत्रकारिता 
4 दिनों में 2 तकनीकी विशेषज्ञहत्या कर दी गई। 
वही पुणे, वही इन्फोसिस, दोनों शिकार वही तकनीकी विशेषज्ञ
वही इंडियन एक्सप्रेस, किन्तु शीर्षक बदल गए ?
हिन्दू = "इन्फोसिस तकनीकी विशेषज्ञ". 

मुस्लिम = "मुस्लिम तकनीकी विशेषज्ञ"!

नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का
सार्थक संकल्प -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
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"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
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Wednesday, June 4, 2014

स्वास्थ्य मंत्री का जीवन सुरक्षा अभियान

सुरक्षा पेटी 'सीट बैल्‍ट' का उपयोग श्री गोपीनाथ मुंडे के प्राण बचा सकता था
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार कर में सुरक्षा पेटी का उपयोग श्री गोपीनाथ मुंडे के प्राण बचा सकता था। डॉ. हर्षवर्धन ने दिवंगत ग्रामीण विकास मंत्री की अंत्‍येष्टि में सम्मिलित होने के लिए बीड, महाराष्‍ट्र प्रस्थान करने से पूर्व कहा ‘अधिकांश लोग मानते हैं कि कार में पिछली सीट पर लगाई गयी पेटी, केवल सजावट के उद्देश्‍य से लगाई जाती है। मैंने मात्र इस एक भ्रांन्ति के चलते अपना मित्र खो दिया है। वास्‍तव में अगली सीटों की पेटी की भांति पिछली सीट पर पेटी लगाना भी अनिवार्य होता है। किसी अप्रिय स्थिति में यह जीवन बचाने का कारण हो सकती है।’
      मंगलवार को श्री गोपीनाथ मुंडे का निधन एक दुर्घटना के कारण हो गया था। लाल बत्‍ती को पार कर एक कार ने श्री मुंडे की कार को टक्‍कर मार दी थी। इस दुर्घटना से उनकी कार को तो अधिक क्षति नहीं पहुंची, किन्तु कार को लगे तेज धक्‍के के कारण श्री मुंडे की गर्दन के जोड़ और उनकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोट पहुंची, जिसके कारण मस्तिष्‍क को रक्त की आपूर्ति बाधित हुई और तत्‍काल उनकी हृदय गति और सांस रुक गयी। इसके अतिरिक्त उनका यकृत (जिगर) भी फट गया था और इसमें से रक्त बह रहा था। देश ने एक महत्‍वपूर्ण जननेता और समर्थ मंत्री खो दिया है। 

अगस्‍त, 1997 में ऐसी ही एक दुर्घटना में ब्रिटेन की प्रिंसेस डायना के प्राण चले गए। उनकी द्रुतगति कार पेरिस में एक भूमिगत सुरंग में खम्‍भे से टकरा गई थी। 2007 में ऐसी ही एक दुर्घटना में, दिल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की कार की ट्रक से हुई टक्‍कर के कारण निधन हो गया था। आज मैं उन अनेक लोगों के दु:ख को अनुभव कर पा रहा हूं जो सुरक्षा पेटी की आवश्‍यकता को अस्वीकरण से कार दुर्घटना में अपने प्रिय जनों को खो देते हैं। 
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का अभियान
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय गाड़ी चलाते समय सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने वाले लोगों को, जागृत करने की पहल करेगा।
      स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि सुरक्षा के बारे में स्‍वयं सेवी संगठनों के सहयोग से मल्‍टी मीडिया अभियान चलाने पर विचार किया जा रहा है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा ‘’ मुख्‍य ध्‍यान प्रत्‍यक्ष रूप से दुर्घटना के शिकार अथवा उन बच्‍चों पर दिया जायेगा, जिन्‍हें अभिभावक पिछली सीट पर बैठाते है अथवा जिनकी पर्याप्‍त देखभाल नहीं की जाती। बच्‍चे गलत लोगों का अनुकरण भी कर सकते हैं।
      स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि गलत ढ़ग से अथवा अंधाधुंध गाड़ी चलाने वाले लोगों का अनुकरण करने की बजाय बच्‍चों को सही ढ़ग से जीवन जीना सिखाना चाहिए। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि यह चिंता की बात है कि विश्व के अन्‍य देशों की तुलना में भारत में युवा वर्ग आजकल सुरक्षा पेटी और सुरक्षा टोपी (मोटरबाइक चलाते समय) लगाने में रूचि नहीं लेते। अनुसंधान से पता चला है कि विशेषकर महिला चालकों और मोटरसाइकिल चालकों, विशेषकर से पिछली सीट पर बैठी महिलाओं में यह रूझान बहुत अधिक देखा गया है। 
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘’ मैं कार और बाइक चालकों को सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए देशभर में पैट्रोल डीलर एसोसियशन का सहयोग चाहता हूं। डॉ. हर्षवर्धन ने जनता से अपील करते हुए कहा, ‘’ आइये गोपीनाथ मुंडे की त्रासदी को क्रांतिकारी परिवर्तन के रूप में लें।‘’
      उन्‍होंने कहा, ‘’मंत्री जी की त्रासदी और असमय मृ‍त्‍यु को सभी वाहन चालकों को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। एक जीवन बचाना, एक जीवन बनाने के समान है और समाज में संभावित परिवर्तन लाने वाला ही भविष्‍य को सुरक्षित कर सकता है।‘’
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"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
 "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल का शोक प्रस्‍ताव

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने श्री गोपीनाथ मुंडे के निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया
केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आज ग्रामीण विकास, पेयजल सफाई तथा पंचायती राज मंत्री श्री गोपीनाथ मुंडे के निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है। मंत्रिमंडल ने निम्‍न शोक प्रस्‍ताव पारित किया : 
मंत्रिमंडल को ग्रामीण विकास, पेयजल सफाई तथा पंचायती राज मंत्री श्री गोपीनाथ मुंडे के 03.06.2014 को प्रात: नई दिल्‍ली में सड़क दुर्घटना में असामयिक निधन की दु:खद जानकारी मिली। 
श्री मुंडे जनाधार वाले जमीन से जुड़े राजनीतिज्ञ और लोकतंत्र समर्थक थे। श्री मुंडे का जन्‍म महाराष्‍ट्र के बीड के एक गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी तथा जिला परिषद के स्‍कूलों में हुई और उन्‍होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्‍य के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 
श्री मुंडे पांच बार महाराष्‍ट्र विधान सभा के लिए चुने गए। वह 1992-95 तक महाराष्‍ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता रहे। श्री मुंडे 1995 में महाराष्‍ट्र के उप मुख्‍यमंत्री बने। 2009 में वह लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। 2014 में वह फिर लोकसभा के लिए चुने गए। श्री मुंडे को 26 मई, 2014 को केन्‍द्रीय मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया। 
मंत्रिमंडल राष्‍ट्रीय तथा राज्‍य स्‍तर पर विभिन्‍न रूपों में श्री गोपीनाथ मुंडे की सेवाओं के प्रति सराहना व्‍यक्‍त करता है। मंत्रिमंडल उनके त्रासदीपूर्ण निधन से हुई क्षति के प्रति दु:ख व्‍यक्‍त करता है। उनके असामयिक निधन से देश ने एक ऐसा अनुभवी और दूरदर्शी नेता खो दिया है, जिन्‍हें विभिन्‍न राजनीतिक दलों में सम्‍मान के साथ देखा जाता था। मंत्रिमंडल संपूर्ण राष्‍ट्र की ओर से शोकाकुल परिवार को अपनी गहरी सांत्‍वना देता है।
भारत सरकार की नई सू प्रौ नीति के अंतर्गत किसी भी विषय पर किसी व्यक्ति, समुदाय, धर्म तथा देश के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी दंडनीय अपराध है। इस प्रकार की टिप्पणी पर कानूनी कार्रवाई (सजा या अर्थदंड अथवा दोनों) का प्रावधान भी रखा गया है। अत: इस मंच में भेजे गए, किसी भी विचार का उत्तरदायित्व पूर्णत: लेखक का होगा।
एजेंडा विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार।
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Tuesday, June 3, 2014

शोक समाचार

शोक समाचार 
एक कार दुर्घटना में संभवत: हृदयाघात के कारण केन्द्रीय ग्रा विकास व पंचायती राज मंत्री श्री गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे (64 वर्ष) का निधन उनके परिवार ही नहीं, अपितु पूरे राष्ट्र के लिए दुखद  सन्देश लाया है। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान व उनके शोक संतप्त परिवार को यह दुःख व अपूर्णीय क्षति सहन करने की क्षमता प्रदान करें। 

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मंत्री गोपीनाथ मुंडे का आज प्रात: दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया।  मुंडे का पार्थिव शरीर मुंबई ले जाया गया है। यहां से उनका पार्थिव शरीर उनके वर्ली स्थित पैतृक घर पर लाया गया। उनके घर पर राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे, हेमा मालिनी, छगन भुजवल सहित कई लोग उपस्थित थे। मुंडे का अंतिम संस्कार कल महाराष्ट्र में उनके पैतृक गांव वर्ली में किया जाएगा। 
एक सप्ताह पूर्व ही शपथ ग्रहण कर कार्य भार सँभालने वाले भाजपा के मराठी नेता से ग्रामीणों सहित देश को बहुत आशाएं थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंडे के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा है कि वह अपने मित्र मुंडे के निधन से अत्यंत दुखी और स्तब्ध हैं। वे ही नहीं पूरा देश स्तब्ध है।
ग्रामीण विकास मंत्री की गाडी के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिलने के बाद सबसे पहले एम्स पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने बताया कि मुंडे को पुनर्जीवित करने का डॉक्टरों ने हरसंभव प्रयास किया। मुंडे के सम्मान में दिल्ली, राज्य की राजधानियों और केंद्र शासित प्रदेशों में आज राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया।"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं

Monday, June 2, 2014

Only Modi Knows His Ministry 

SUNDAY, MAY 18, 2014 The Hindu Blog

केवल मोदी अपने मंत्रालय जानता है

मोदी और उनकी टीम पिछले साल की बैठक कर रहे थे, मेरे दोस्त स्वामी वह वास्तव में चर्चा की जा रही थी क्या जानना चाहूंगा कि कहा . मुझे लगता है हम हम मोदी का क्या पता है , तो हम कभी भी चर्चा की जा रही थी पता चलेगा कि क्या कोई तरीका नहीं है कि उसे बताया . मोदी ने अपने हाथ ढोने के लिए प्रवण एक शतरंज खिलाड़ी , नहीं है . मोदी और उनकी टीम ( गुजरात व्यवस्थापक से अमित शाह और अन्य. ) उन्हें बेहद अमीर लाभांश प्राप्त हुए है जो काम करने की एक शैली है . वे सब के सब कम प्रोफ़ाइल कर्ता बजाय आकर्षक talkers की तरह लग रहे हैं. संदीप पाटिल की तुलना में अधिक कपिल देव (पुराने पाठकों के लिए ) , युवराज सिंह से अधिक गौतम गंभीर , शशि थरूर (कांग्रेस में सकारात्मकता के slivers के लिए देख रहे हैं लोगों के लिए ) , अधिक मनोज बाजपेयी कि शाहरुख खान से ज्यादा कमलनाथ . वैसे, अगर आप इस बात मिलता है . गुजरात टीम के नेताओं और टेक्नोक्रेट के एक चालाकी चुना संग्रह की तरह लगता है . मैं गुजरात प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर दोहराया जाएगा कि एक महसूस कर रही है .

हमारे बीच वैज्ञानिकों ने एक नियंत्रित वातावरण में सफल रहा है जो एक प्रक्रिया को दोहरा एक बड़े पैमाने पर दोहराने के लिए मुश्किल है कि कहेंगे . क्या एक पेशेवर दिमाग Amdavaad में काम करता है लखनऊ की तरह एक वापस रखी शहर में लागू करना आसान नहीं हो सकता है . बहुत सारे चर किसी भी तरह का एक गैर तुच्छ काम के निष्कर्षों बनाते हैं. नरेंद्र मोदी के अनुभव और राजनीतिक कुशाग्र बुद्धि परीक्षण किया जाएगा , जहां यह है . मोदी ने अपने एजेंडे को लागू करने के लिए सबसे अच्छा संभव लोगों का चयन करना होगा . वह और उनके समर्थकों ने उन्हें एक तीन अवधि प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. 2019 और 2024 में अद्भूत चुनावी परिणाम को दोहराने के लिए गुजरात मॉडल की सफलता से भी अधिक की आवश्यकता होगी . कंक्रीट और मध्यम श्रेणी का परिणाम की जरूरत होगी . इसके लिए उन्होंने नेताओं और टेक्नोक्रेट का सही संयोजन की आवश्यकता होगी . वह एक गैर भाजपा पार्टी से एक सक्षम अभिनेता तक पहुंच गया है , तो वह ऐसा करना चाहिए . मूलतः, एक नौकरी / समस्या की पहचान की जानी चाहिए और फिर सही कलाकार / समस्या solver पाया जाना चाहिए .

क्या इस स्तर पर यकीन है फिर से संगठित करना , विलय , विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के विभाजन के कार्ड पर है . एक इंटरव्यू में मोदी ने भारतीय खाद्य निगम और यह निर्दोष था पीछे तर्क को विभाजित करने की आवश्यकता पर बल दिया . इस तरह की एक डिवीजन भोजन की प्रचलित अपव्यय को कम करते हुए किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ , चीजों को और अधिक कुशल बनाना होगा . Firstbiz.com पर एक उत्कृष्ट लेख निम्नलिखित कहते हैं:

हम एक परिवहन मंत्रालय , रेलवे के साथ , नागर विमानन , नौवहन और इसके तहत रोडवेज , या अपने स्वयं के बात करने की कोशिश कई मंत्रालयों प्रत्येक की जरूरत है? रेलवे कार्गो पर आरोप लगाया भाड़ा दर सड़क परिवहन , या एयर कार्गो प्रभावित नहीं करता है ? एयर एशिया यह कैसे नागर विमानन नीति रेलवे यात्री किराये से नीति तलाकशुदा किया जा सकता है , प्रथम श्रेणी के रेल यात्री लक्षित कर रहा है कहते हैं ?

ऐसा ही एक प्रस्ताव विदेशी वाणिज्य और विदेश मंत्रालय के साथ व्यापार विलीन हो जाती है . यह यह जरूरी इस पोर्टफोलियो के आरोप में व्यक्ति के रूप में अच्छी तरह से विदेशी वाणिज्य के आरंभ के रूप में कूटनीति जानता है कि बनाता है . इस काम के लिए चारों ओर फेंक दिया जा रहा है एक नाम सुषमा स्वराज है . वह एक उत्कृष्ट वक्ता और भाजपा की महिला चेहरा है . उन्होंने आडवाणी को उसकी निकटता से बिजली तैयार की गई है जो ( वह लोकसभा चुनाव जीतने के लिए आसान सीटों की जरूरत है और मतदान की आबादी के किसी भी वर्ग पर कोई बोलबाला है ) एक भयानक राजनीतिज्ञ और एक दिल्ली अंदरूनी सूत्र है . वह निश्चित रूप से कोई फर्क नहीं पड़ता " सम्मान जनक " पोर्टफोलियो कैसे हो सकता है इस काम के लिए योग्य नहीं है . वह यथास्थिति चरम पूर्वाग्रह के साथ खारिज किए जाने की जरूरत क्यों की एक स्पष्ट उदाहरण है .

क्या मंत्री बनने जा रहा है जो की सभी घोषणाओं इन तथाकथित संभावित मंत्रियों द्वारा स्वयं शरारत कर रहे हैं . यह सबसे भोले को छोड़कर सभी को स्पष्ट एक गंदा लेकिन एक पुरानी चाल है . क्या मुझे पता है कि कोई भी मोदी को छोड़कर जानता है . क्या मैं विश्वास के कुछ डिग्री के साथ कह सकता हूँ कि यह अच्छा है और लगातार अच्छा प्रदर्शन करने का एक महान टीम हो जाएगा . इसके बजाय एक आकर्षक बल्लेबाज को चुनने की एक टीम के रूप में अच्छी तरह से क्षेत्ररक्षण कर सकते हैं जो कई लगातार खिलाड़ियों होनी चाहिए . हम जानते हैं या ग्लैमरस मंत्री की जरूरत नहीं है . वाजपेयी सरकार में शत्रुघ्न सिन्हा ने स्वास्थ्य मंत्री थे और विनोद खन्ना पर्यटन था . दोनों फ्लॉप रहे थे . स्वास्थ्य गुजरात में यह प्रबंध है जो कोई भी डॉ. हर्षवर्धन और पर्यटन दी जानी चाहिए . अच्छे डॉक्टर हमारे पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के स्वास्थ्य मंत्री के लिए एक अच्छा विकल्प फलस्वरूप के लिए जिम्मेदार था . मोदी टीम के बाकी निश्चित रूप से डॉ. हर्षवर्धन यानी जरूरी अच्छी तरह से जाना जाता है लेकिन सिद्ध और ( पार्टी कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों द्वारा सम्मान ) संगत कलाकारों नहीं की तरह हो जाएगा . यही कारण है कि अगले प्रशासन के भविष्य की सफलता की कुंजी है .
When Modi and his team were meeting last year, my friend Swami said that he would really like to know what was being discussed. I told him that if we know what we know of Modi, there is no way we will ever know what was being discussed. Modi is a chess player, not prone to tipping his hand. Modi and his team (Amit Shah and others from Gujarat Admin.) have a style of working which has yielded them extremely rich dividends. All of them seem like low profile doers rather than flashy talkers. More Kapil Dev than Sandeep Patil (for the older readers), more Gautam Gambhir than Yuvraj Singh, more Kamal Nath than Shashi Tharoor (for people who are looking for slivers of positivity in Congress), more Manoj Bajpai that Shahrukh Khan. Well, you get the point. The Gujarat team seems like a smartly chosen collection of politicians and technocrats. I have a feeling that the Gujarat experiment will be replicated at the national level.

The scientists amongst us will say that repeating a process which has succeeded in a controlled atmosphere is difficult to replicate on a larger scale. What works in a professional minded Amdavaad may not be easy to implement in a laid back city like Lucknow. Too many variables make extrapolation of any kind a non-trivial task. This is where Narendra Modi’s experience and political acumen will be tested. Modi will HAVE to select the best possible people to implement his agenda. He and his supporters want him to be a three term PM. To repeat the stupendous electoral results in 2019 and 2024 will need more than the success of the Gujarat Model. Concrete and measurable results will be needed. For this he will need the right combination of politicians and technocrats. If he has to reach an able performer from a non BJP party then he should do so. Essentially, a job / problem must be identified and then the right performer / problem solver must be found.

What is sure at this stage is that realignment, mergers, division of various departments and ministries is on the cards. In an interview, Modi emphasized the need to split the Food Corporation of India and the logic behind it was impeccable. Such a division would make things more efficient, benefitting the farmers and consumers alike while minimizing the prevalent wastage of food. An excellent article at firstbiz.com says the following: 

Do we need one ministry of transport, with railways, civil aviation, shipping and roadways under it, or multiple ministries each trying to do their own thing? Does the freight rate charged on railway cargo not impact road transport, or air cargo? When Air Asia says it is targeting the first class rail passenger, how can civil aviation policy be divorced from railway passenger fares policy?

A similar proposal merges foreign commerce and trade with Ministry of external affairs. This makes it imperative that the person in charge of this portfolio knows diplomacy as well as the rudiments of foreign commerce. The one name being thrown around for this job is Sushma Swaraj. She is an excellent orator and the female face of the BJP. She is a terrible politician and a Delhi insider (she needs easy seats to win Loksabha elections and has no sway over any section of the voting population) who has drawn power from her proximity to Advani. She is definitely not qualified for the job no matter how “Samman Janak” the portfolio may be. She is a clear example of why the status quo needs to be discarded with extreme prejudice.

All the proclamations of who is going to become what minister are mischief by these so called potential ministers themselves. It is a dirty but an old trick apparent to all except the most naïve. What I know is that no one knows except Modi. What I can say with some degree of confidence is that it will be a great team of good and consistent performers. Instead of choosing one flashy batsman, a team should have many consistent players who can field as well. We do not need known or glamorous minister. In the Vajpayee ministry, Shatrughan Sinha was the health minister and Vinod Khanna had tourism. Both were flops. Health should be given Dr. Harshvardhan and tourism to whoever is managing it in Gujarat. The good doctor was responsible for our Polio eradication program ergo a good choice for Health Minister. The rest of the Modi team will surely be like Dr. Harshvardhan i.e. not necessarily well known but proven and consistent performers (respected by party cadres and bureaucrats). That is the key to future successes of the next administration.
"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये। "हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं